अटल जी का ये था इंदौर से कनेक्शन!
भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी ने कल शाम दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में अपनी आखिरी सांस ली. वह न
सिर्फ एक युगपुरुष थे बल्कि अपनी राजनैतिक निर्णयों की वजह से देश में इतिहास रचा था.वो एक अच्छे पॉलिटिशियन, वक्त
और कवी थे. आज शाम ४ बजे वह पंचतत्वों में लींन हो जायेंगे.उन्हें इंदौर से खासा मोह था.इंदौर के नमकीन और मालवा का
भोजन उनका खासा प्रिय था.यहाँ के कई नेताओं को वो नाम से जानते थे.
चरणसिंघ से रोचक किस्सा!
सत्यनाराण सतन और चौधरी चरणसिंघ की इंदौर में राजवाड़ा पर सयुंक्त सभा राखी गयी थी. रेजीडेंसी कोठी में तयारी चल रही
थी कार्यक्रम के सयोजक ने कहा की अटल जी के बाद चरणसिंघ का भाषण होगा.हुआ वैसा ही और अटल जी के बाद चरणसिंघ
के भाषण से वह बैठे लोग जाने लगे फिर अटल जी ने सभी से अनुरोध किया की रुक जाये. तभी जनता नहीं मानी और जाने लगी
तब उन्होंने लालच दिया की मैं आपको सबको कविता सुनायूंगा तब जाकर चरणसिंघ का भाषण पूरा हुआ.
जब मरोड़े कान!
लघु उधोग के अध्यक्ष बाबूसिंह रघुवंशी ने बताया की १९०३ में भाजपा का अधिवेशन इंदौर में रखा गया था.वह अधिवेशन के
सहप्रभारी थे.अटल जी ने पूछा अधिवेशन कहा हैं,बाबूसिंह ने कहा मैदान में हैं,उन्होंने तीन बार पूछा फिर भी यही कहा.तब
उन्होंने कान मरोड़ कर कहा की तुम मालवा वाले नहीं सुधरोगे.मैदान नहीं मैदान होता हैं.इंदौर की पोहा जलेबी और समोसा
कचोरी उनकी पसंदीदा थी.प्रधानमंत्री बन जाने के बाद भी वह हालचाल पूछना नहीं भूलते थे.
COMMENTS