इंदौर. अध्यात्मिक गुरु भय्यूजी महाराज ने मंगलवार को गोली मारकर खुदकुशी कर ली। अस्पताल ले जाने से आधा घंटा पहले ही उनकी मौत हो गई थी। उनकी दाईं कनपटी पर गोली लगी थी। आत्महत्या की वजह पारिवारिक विवाद बताई जा रही है।
देश के हाईप्रोफाइल संत भय्यू महाराज को मध्य प्रदेश सरकार ने कुछ महीने पहले ही राज्यमंत्री का दर्जा देने की पेशकश की थी, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था। हालांकि, भय्यूजी को जानने वालों का कहना है कि उनके रुतबे के लिए राज्यमंत्री के ओहदे की जरूरत नहीं थी, वो पहले से ही मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के राजनीतिक दलों में खासा रसूख रखते थे।
भय्यूजी महाराज का असल नाम उदय सिंह देशमुख था। आध्यत्मिक गुरु बनने से पहले 21 साल की उम्र में उन्होंने कुछ वक्त के लिए मॉडलिंग भी की थी।
महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में लोगों के बीच भय्यूजी जाना पहचाना नाम था। लेकिन नेशनल लेवल पर उनकी पहचान दिसंबर 2011 में बनी, जब जब अन्ना हजारे के अनशन को खत्म करवाने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार ने भय्यूजी को अपना दूत बनाकर भेजा था। बाद में अन्ना ने उनके हाथ से जूस पीकर अनशन तोड़ा था।
भय्यूजी को सरसंघचालक मोहन भागवत का भी करीबी माना जाता था। इसके अलावा शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे भी उन्हें खासी तरजीह देते थे।
ऐसा था भय्यूजी का रुतबा
इंदौर के रहने वाले भय्यूजी का पॉलिटिक्स से जुड़ने का महाराष्ट्र कनेक्शन है। दरअसल, उनका पैतृक गांव महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में आता है। लिहाजा उनका गांव में आना-जाना लगा रहता था।
1995 में भय्यूजी महाराष्ट्र के नेता अनिल देशमुख के जरिए महाराष्ट्र के पूर्व सीएम विलासराव देशमुख से जुड़े। मराठा होने के नाते महाराष्ट्र की राजनीति में उनका खासा प्रभाव रहा था।
ऐसा कहा जाता है कि पूर्व सीएम विलासराव देशमुख के करीबी होने के चलते महाराष्ट्र की राजनीति में भय्यूजी की गहरी पैठ थी। 2000 में विलासराव जब सीएम बने थे, तब भय्यूजी का ज्यादातर समय महाराष्ट्र में ही गुजरा था। तब महाराष्ट्र ने उन्हें राजकीय अतिथि का दर्जा दिया हुआ था।
बता दें कि भय्यूजी से कांग्रेसी नेता भी उतने ही प्रभावित थे। एनसीपी के नेता भी उन्हें हमेशा सम्मान देते रहे। गोपीनाथ मुंडे और नितिन गडकरी के भी वे करीबी रहे थे।
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के भी भय्यूजी काफी करीबी रहे थे। बाला साहब ठाकरे और उद्धव दोनों भय्यूजी से अपने घर मातोश्री में मिला करते थे।
सद्भावना उपवास के दौरान मोदी ने बुलाया था गुजरात
पीएम बनने के पहले गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी सद्भावना उपवास पर बैठे थे। तब उपवास खुलवाने के लिए उन्होंने देश भर के शीर्ष संत, महात्मा और धर्मगुरुओं को आमंत्रित किया था। उसमें भय्यू महाराज भी शामिल थे।
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