भोपाल। उत्तरप्रदेश और गुजरात का फार्मूला भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश में भी लागू कर सकती है. इन दोनों प्रदेश में पार्टी ने जातिगत समीकरण साधने के लिए कैबिनेट में दो उपमुख्यमंत्री का प्रयोग किया था. सूत्रों के हवाले से खबर है की प्रदेश की शिवराज सरकार यही फॉर्मूला मध्यप्रदेश में लागु कर सकती है.
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस की कमान कमलनाथ के हाथों में आने के बाद से भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व मप्र को लेकर गंभीर हो गया है. बचे हुए छह महीने के लिए पार्टी जो रोडमेप तैयार कर रही है, उसमें सबसे ज्यादा जातिगत नाराजगी को अहम माना जा रहा है. मौजूदा दौर में सरकार में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के प्रतिनिधित्व को लेकर संतुलन नहीं है.
यही वजह है कि संगठन में भाजपा ने इन्हीं दोनों वर्ग से चुनाव प्रबंधन समिति के सह संयोजक नियुक्त किए हैं. जिसमें फग्गनसिंह कुलस्ते और राज्यमंत्री लालसिंह आर्य शामिल हैं पर अब सरकार के स्तर पर भी दोनों वर्ग का प्रतिनिधित्व बढ़ाए जाने पर विचार चल रहा है. जिसमें उप्र और गुजरात की तर्ज पर दो डिप्टी सीएम बनाए जाने पर विचार किया जा रहा है. खासतौर से एंटीइनकमबेंसी रोकने के लिए इस फार्मूले को बेहतर माना जा रहा है.
ऐसा हुआ तो ST/SC वर्ग में से किसी एक को डिप्टी सीएम का पद मिल सकता है. इसी तरह ब्राह्मण वर्ग से एक डिप्टी सीएम बनाए जाने की संभावना है हालांकि इस वर्ग को भी चुनाव प्रबंधन समिति में एडजस्ट किया जा चुका है पर पार्टी नेताओं का मानना है कि चुनावी राजनीति को देखते हुए ब्राह्मण प्रतिनिधित्व बढ़ाए जाने की जरूरत है. सर्वग्राह्य है। हर स्थिति में मंत्रिमंडल का गठन और जिम्मेदारियों का वितरण मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है।
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