भोपाल- पीएम मोदी और अमित शाह मध्यप्रदेश में बड़ी सर्जरी करने के मूड में है. हम ऐसा इसलिए कह रहे है कि एक के बाद एक जिस तरह से दिग्गज नेताओं को दूसरे राज्य में भेजा जा रहा है उससे साफ नज़र आ रहा है कि बीजेपी का आलाकमान एमपी में बड़ा पावर सेंटर स्थापित करने के प्लान में है.
मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में क्या नए पावर सेंटर तैयार करने की कवायद तेज हो गई है ? ये सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि एक के बाद एक प्रदेश के बड़े नेताओं को दूसरे राज्यों की जिम्मेदारी देकर भेजा जा रहा है. पहले कैलाश विजयवर्गीय, फिर शिवराज सिंह चैहान और अब नरेन्द्र सिंह तोमर. हाल ही में एमपी बीजेपी के कद्दावर नेता और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को हरियाणा का चुनाव प्रभारी बनाकर भेज दिया गया है. कैलाश विजयवर्गीय पश्चिम बंगाल के प्रभारी पहले से हैं. शिवराज सिंह चौहान को चुनाव में हार के बाद राष्ट्रीय सदस्यता अभियान का प्रभारी बना दिया गया है. अब वो मध्य प्रदेश से ज्यादा पूरे देश में सक्रिय हैं. इन नेताओं की अलग-अलग जिम्मेदारी और हालिया सियासी घटनाक्रम संकेत कर रहे हैं कि बीजेपी आलाकमान एमपी को लेकर कुछ अलग प्लान पर विचार कर रहा है.
यूं तो एमपी बीजेपी के कद्दावर नेता और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पहले से ही टीम मोदी के अहम किरदार हैं लेकिन हाल ही में उन्हें मिली हरियाणा की नई जिम्मेदारी मध्य प्रदेश के नए सियासी संकेतों की ओर इशारा कर रही है. इशारा इस बात का कि क्या केंद्रीय आलाकमान मध्य प्रदेश में नया पावर सेंटर तैयार कर रहा है. ये सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि अब तक पश्चिम बंगाल की जिम्मेदारी संभाल रहे कैलाश विजयवर्गीय अपने बेटे के बैटकांड के बाद से पीएम मोदी की नाराजगी झेल रहे हैं. चुनाव हार के बाद शिवराज सिंह सदस्यता का जिम्मा संभाल रहे हैं. नरेंद्र सिंह तोमर हरियाणा से पहले उत्तर प्रदेश, पंजाब समेत कुछ दूसरे राज्यों में भी चुनाव प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. वो टीम मोदी का अहम हिस्सा हैं. लेकिन मध्य प्रदेश में बीजेपी के बागी विधायकों और आकाश बैटकांड के चैप्टर के बाद कमजोर हुई कैलाश विजयवर्गीय और शिवराज सिंह की सियासी अहमियत के बीच उनकी ये जिम्मेदारी नए संकेत दे रही है. कांग्रेस की नज़र में भी ये बीजेपी की अंदरुनी खलबली का नतीजा है.
कुल मिलाकर मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार कमजोर है या नहीं बीजेपी के दो विधायकों के बागी होने के बाद से ये सवाल खामोश हैं. इस खामोशी के बीच ही बीजेपी में बड़े स्तर पर बदलाव की आहट सुनाई दे रही है. क्या ये मध्य प्रदेश में आने वाले सियासी तूफान से पहले की ख़ामोशी है..!
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