मध्यप्रदेश के चुनावी समर में महाकाल की नगरी उज्जैन शक्ति प्रदर्शन का केंद्र बन गया है….अब ब्राह्मण समाज ने सरकार को प्रदेश में अपनी मौजूदगी का अहसास करवाने के लिए ब्राह्मण महाकुंभ का आयोजन किया गया.. इससे पहले सीएम शिवराज सिंह ने अपनी जन आशीर्वाद यात्रा उज्जैन से शुरू की थी और पीसीसी चीफ कमलनाथ ने महाकाल को चिट्ठी सौंपकर एक तरह से अपने चुनाव अभियान की शुरुआत की थी….उज्जैन के दशहरा मैदान में हुए इस सम्मलेन में देश भर से लोग जुटे जहाँ सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर प्रस्ताव पारित जिसमे एट्रोसिटी एक्ट प्रमुख मुद्दा रहा….
प्रदेश की राजनीति में उज्जैन लगातार राजनीतिक गहमागहमी का केंद्र बना हुआ है. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने तीसरी बार भी अपनी जन आशीर्वाद यात्रा महाकाल के दर पर माथा टेकने के साथ ही शुरू की थी. इससे पहले पिछले चुनाव में भी वो उज्जैन से अपने चुनाव अभियान की शुरुआत कर चुके थे और सत्ता पर काबिज हुए. कांग्रेस ने भी उज्जैन को ही तरजीह दी. कांग्रेस ने भी अपनी कई यात्राएं उज्जैन से ही शुरू की हैं. इस बार भी पीसीसी चीफ कमलनाथ की ओर से महाकाल को चिट्ठी सौंपी गयी थी.इसमें शिवराज के शासन से जनता को मुक्ति दिलाने की अपील की गयी थी. उसके बाद कांग्रेस की संकल्प यात्रा भी उज्जैन के तराना से शुरू हुई थी. इस यात्रा को लेकर पार्टी नेता जीतू पटवारी रवाना हुए थे.
उज्जैन में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर है और ऐसी आस्था है कि बाबा महाकाल से जो कुछ भी मांगा जाए वो हर मुराद पूरी करते हैं. उज्जैन हमेशा राजनेताओं की आस्था और शक्ति प्रदर्शन का केंद्र रहा है. इसी आस्था को लेकर सपाक्स, सवर्ण समाज, करणी सेना और अब ब्राह्मण महाकुंभ महाकाल की नगरी में हुआ…
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