रीवा | सूबे में सियासत का मौसम है पाने चरम पर है और इस मौसम में पार्टियों द्वारा घोसणाओ और वादों की मूसलाधार बारिश होना भी लाजमी है. इसी के चलते कांग्रेस ने कुछ ऐसा वादा कर दिया है जिसे राजनीतिक हलचल बढ़ गई है. कांग्रेस ने शनिवार को अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है. कांग्रेस के इस घोषणा पत्र को ‘वचन पत्र’ कहा जा रहा है. दिलचस्प है कि कई दूसरी चीजों के साथ कांग्रेस ने अपने इस घोषणा पत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं पर पाबंदी लगाने का भी वादा किया है. इस घोषणा पत्र के इस बिंदु को लेकर बीजेपी ने उस पर बड़ा हमला बोला है.
इस को लेकर कांग्रेस विधायक सुंदरलाल तिवारी के संघ को लेकर दिए गए विवादित बयान से कांग्रेस ने किनारा कर लिया है। अध्यक्ष कमलनाथ ने उनके बयान से पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि जो केंद्र सरकार के नियम हैं औऱ बाबूलाल गौर और उमा भारती के समय जो नियम थे उनको दोहराया है,संघ यदि ऐसी संस्था होती तो हम प्रतिबंध लगाने की बात करते। न मन है, न मंशा और न ही उद्देश्य कि कोई बैन लगाया जाए। गौरतलब है की तिवारी ने संघ को आतंकवाद का प्रतीक बताया है, जिसके बाद से ही सियासत गरमाई हुई है।
तिवारी का कहना है की आरएसएस के किसी भी कार्यक्रम में भारतीय झंडा नहीं लगाया जाता,इससे यह साफ जाहिर होता है की संघ की गतिविधियां संदिग्ध हैं,आरएसएस पूर्ण रूप से राजनीतिक संगठन है, संगठन सामाजिक घृणा, नफरत धर्म के नाम पर फैला रहा है और प्रदेश सहित देश में एक अराजकता का माहौल पैदा किया जा रहा है। तिवारी ने कहा कि इनकी शाखा में देश का झंडा कभी नहीं फहराते और यह सब आतंकवाद का प्रतीक है। जिस पर कमलनाथ ने अपनी प्रतिक्रिया दी है और तिवारी के बयान से किनारा किया है।
बता दें कि कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में कहा है कि यदि पार्टी मध्य प्रदेश की सत्ता में आती है तो सरकारी इमारतों और परिसरों में आरएसएस की शाखा लगाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। सरकारी कर्मचारियों के शाखा में हिस्सा लेने की अनुमति देने के आदेश को भी रद्द कर दिया जाएगा। कांग्रेस के इस वादे के बाद से ही सियासत गर्माई हुई है। कांग्रेस-भाजपा एक दुसरे पर हमले कर रही है। वही संघ में हड़कंप मचा हुआ है।
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