भोपाल : मिशन 2018 में सत्ता पर काबिज होने के ख्वाब देख रही प्रदेश कांग्रेस में फ़िलहाल कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. कांग्रेस नेताओं की अनदेखी का आलम यह है कि राष्ट्रीय महामंत्री एवं प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया के आदेश को ही अनदेखा किया जा रहा है.
दरअसल बाबरिया ने पिछले महीने कांग्रेस नेताओं को अल्टीमेटम दिया था कि जिन लोगों को चुनाव लड़ना है, वे यदि संगठन में किसी पद पर है, तो एक माह के अंदर अपने पद को छोड़ दें और चुनाव की तैयारी में लग जाए, लेकिन अलटीमेटम के 15 से ज्यादा दिन निकल जाने तक किसी भी पदाधिकारी ने इसका पालन नहीं किया.
25 मार्च को इस आदेश की मियाद ख़त्म हो जाएगी. निर्देश के इतने दिन बाद तक किसी भी पदाधिकारी ने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया, बल्कि चुनाव लड़ने के लिए इच्छुक एक नेता को दोहरी जिम्मेदारी देते हुए एक विभाग का प्रदेश संयोजक और बना दिया. बावरिया इससे पहले भी इस तरह का आदेश दे चुके है उस समय भी उनके आदेश को अनदेखा किया गया था.
ये हैं चुनाव लड़ने के इच्छुक पदाधिकारी-
डॉ. गोविंद सिंह, सुंदर लाल तिवारी, रामनिवास रावत, राजा पटैरिया, प्रेम चंद गुड्डू, तुलसी सिलावट, सुभाष सोजतिया, अशोक सिंह, गोविंद राजपूत, लखन घनघोरिया, जीतू पटवारी, उमंग सिंघार, रजनीश सिंह, कमलेश्वर पटेल, केपी सिंह, ओंकार सिंह मरकाम, निशंक जैन, चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी, एंदल सिंह कंसाना, पीसी शर्मा, ओम रघुवंशी, सुखदेव पांसे, अजय चौरे, शशि राजपूत, महेंद्र सिंह चौहान, सविता दीवान, सुनील सूद, सत्यनारायण पटेल, ब्रजेंद्र सिंह राठौर , जयवर्धन सिंह, आरके दोगने, हरदीप सिंह डंग, हिना कावरे, मनोज अग्रवाल, तरुण भनोत, सौरभ सिंह, जोधाराम गुर्जर, नितिन चतुर्वेदी, रश्मि पंवार, साजिद अली चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसके बाद भी इनमें से किसी ने अब तक अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है.
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