भोपाल | मध्यप्रदेश की सियासत में कांग्रेस का वनवास ख़त्म करने के लिए सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ONE MAN ARMY की भूमिका निभाई…..आज सिंधिया का जन्मदिन है..
राजशाही से राजपथ तक…शाही सिंघासन से सियासत तक…ये सफर..ये फैसले आसान नहीं थी..लेकिन आजादी के बाद सिंधिया घराना राजशाही छोड़कर राजनीति कर रहा है…जी हाँ ग्वालियर का राजविलास महल आजादी के बाद राजनीति का गढ़ बन गया है….मध्यप्रदेश में कांग्रेस का 15 साल का वनवास ख़त्म करने में और सरकार बनने में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का बड़ा रोल रहा. ग्वालियर-चंबल की सियासत का बड़ा चेहरा सिंधिया इस बार चुनाव में प्रदेश के नेता के तौर पर उभर कर सामने आए.
सिंधिया परिवार राजनीति में शुरू से ही आगे रहा है. राजमाता विजयाराजे के बेटे माधवराज सिंधिया ने ब्रिटेन से लौटते ही राजनीति में कदम रखा. माधवराव सिंधिया अपने आप में कांग्रेस के एक बड़े और दिग्गज नेता माने जाते थे. वे गांधी परिवार के भी बहुत करीबी थे. वह 1971 में ग्वालियर से लोकसभा के लिये चुने गये. उन्होंने 26 वर्ष की आयु में गुना सीट से पहली बार चुनाव जीता था. 1993 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर दिग्विजय सिंह और माधव राव सिंधिया में ही होड़ लगी थी, जिसमें बाजी दिग्विजिय सिंह के नाम रही थी. सितम्बर 2001 को विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई.
ज्योतिरादित्य सिंधिया आज भले ही राजनीति में गहरी पकड़ रखते हो, लेकिन उनका राजनीति में प्रवेश बड़ा दुखभरा रहा है. साल 2001 में उनके पिता की मौत के बाद उन्होंने पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए राजीनति को अपना करियर बनाया और इसके बाद पिता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया के संसदीय क्षेत्र गुना-शिवपुरी से वे सासंद चुने गए. इसके बाद वे लगातार सफलता की सीढ़ी चढ़ते गए और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा…मध्यप्रदेश के 2018 विधानसभा चुनाव में सिंधिया को सीएम के तौर पर देखा जा रहा था..और कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए उन्होंने वन मैन आर्मी की भूमिका निभाई लेकिन कहते है कि इतिहास खुद को दोहराता है. एक मायने में मध्य प्रदेश की राजनीति में भी 25 साल पुराना इतिहास रिपीट हो गया है…अपने पिता की तरह सिंधिया भी मुख्यमंत्री की कुर्सी की पास आते आते पीछे रह गए…
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष और स्टार प्रचारक ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सबसे ज्यादा चुनावी सभाएं कर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाया. उन्हें पूरे प्रदेश में कार्यकर्ताओं और जनता का अभूतपूर्व समर्थन मिला….. सिंधिया राहुल गाँधी के बेहद करीबी है और प्रदेश के साथ साथ केंद्र में भी बड़ी पकड़ रखते है….
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