भोपाल– भोपाल के हबीबगंज क्षेत्र से नई दिल्ली के बीच दौड़ने वाली शताब्दी एक्सप्रेस में यात्रियों को अख़बार की ज़हरीली इंक में परोसे जाने वाले खाने को लेकर मामला सामने आया है. यात्री सचिन खरे की शिकायत पर वेंडर पर तुरंत कार्रवाई की गई लेकिन इससे यात्री को कोई लाभ नहीं मिला.
दरअसल, वेंडर के खिलाफ यात्री के शिकायत करने पर कार्रवाई और जुर्माना लगता है परंतु यात्रियों को ना पैसे वापस मिलते है ना ही पौष्टिक भोजन. इस तरह से यात्रियों से खाने का ऑर्डर लेकर उनसे पैसे वसूले जा रहे हैं और स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है. साथ ही ऐसी सुविधाओं का क्या फायदा जिसमें पर्यटकों को हर्जाना भी नहीं मिलता.
देशभर में आईआरसीटीसी को यात्रियों से खाने की क्वालिटी को लेकर तकरीबन 35 शिकायतें आती हैं. यह सोशल साइट्स ट्वीटर, व्हाट्सप्प से लेकर अन्य माध्यम से पहुंचती हैं। आईआरसीटीसी यात्री के शिकायत करते ही वेंडर पर जुर्माना लगा देती है पर यात्रियों को लाभ नहीं मिलता.
ज़ाहिर सी बात है कि ऐसे कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं परन्तु कार्रवाई के बाद फिर से डिपार्टमेंट सुस्त हो जाता है और पर्यटकों को वही गुणवत्ताविहीन खाना परोसा जाता है. दो दिन पहले नई दिल्ली से हबीबगंज होकर जाती शताब्दी एक्सप्रेस में यात्री सचिन खरे ने खाने की क्वालिटी और पैकिंग को लेकर खासी नाराज़गी जताई. पर्यटक ने आईआरसीटीसी, रेल सेवा और रेलमंत्री को शिकायत दर्ज कर खाने का हाल बयां किया. उन्होंने बताया पनीर-मटर की सब्ज़ी से मटर गायब, दाल की जगह पानी परोसा और अख़बार की ज़हरीली कतरन के बीच भोजन सड़क किनारे से खरीदा समोसे जैसा प्रतीत हो रहा था. शायद, इससे बेहतर तरीके से पेश किया जा सकता था.
यात्रियों की सुविधा के लिए आईआरसीटीसी ने एक कम्पनी को खाने की क्वालिटी को जाँच करने के लिए हायर किया है साथ ही आईआरसीटीसी के पीआरओ सिद्धार्थ सिंह ने बताया कि किचन में ऑनलाइन वीडियो चलते है. कंपनी खाने में उपयोग होने वाली सामग्री की जाँच करती है और खाना चखकर उसकी रिपोर्ट तैयार करके रेलवे को सौंपती है.
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