इंदौर | एक और जहां देश भर में छठ पूजा के महापर्व को बड़ी धूम-धाम से मनाया गया वही इंदौर में भी छठ पूजा को लेकर पूर्वोत्तर सांस्कृतिक संस्थान द्वारा सामूहिक छठ पूजा का आयोजन रखा गया,इस दौरान शहर की महिलाओ ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया
छठ पूजा के महापर्व पर भगवान सूर्यदेव को भोग लगाया जाता है. इसके बाद से ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होता है. उत्तर प्रदेश और खासकर बिहार में मनाया जाने वाला ये पर्व बेहद अहम पर्व है जो पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. छठ केवल एक पर्व ही नहीं है बल्कि महापर्व है जो कुल चार दिन तक चलता है. नहाय-खाय से लेकर उगते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देने तक चलने वाले इस पर्व का अपना एक ऐतिहासिक महत्व है.
बता दें की एक मान्यता के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी. इसकी शुरुआत सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके की थी. कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और वो रोज घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते थे. सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बने थे,इसको लेकर महिलाओ ने बढ़ चढ़कर इस महपर्व में आस्था की डुबकी लगाई.छठ का पर्व अखंड सौभाग्यवती और पुत्र प्राप्ति के लिए स्त्रियाँ उपवास रखती है ,इस दौरान साफ-सफाई की बड़ी मान्यता है डूबते हुए सूर्य से कामना की जाती है की मनुष्य से सारे दुःख ढल जाये और सूर्योदय के साथ सुखी जीवन की शुरुवात को सके.
कुल मिलाकर छठ पूजा से व्रत से सबकी मनोकामना पूरी होती है ,वही पौराणिक मान्यता के अनुसार पांडवों को अपना राजपाठ वापस मिल गया था. लोक परंपरा के मुताबिक सूर्य देव और छठी मईया का संबंध भाई-बहन का है. इसलिए छठ के मौके पर सूर्य की आराधना फलदायी मानी जाती है .
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