भोपाल– प्रदेश का खजाना खाली पड़ा है और विकासकार्यों पर ब्रेक लगा हुआ है, अगले दो तीन महिनों में निकाय चुनाव होने है, ऐसे में वादों को पूरा करने सरकार फिर से कर्ज़ लेने की तैयारी में है।
खबर है कि किसान कर्जमाफी से लेकर तमाम खर्चों को पूरा करने के लिए सरकार फिर से कर्ज लेने जा रही है। इस बार कमलनाथ सरकार खुले बाजार से 1 हजार करोड़ रुपए का कर्ज़ उठाने जा रही है। यह कर्ज दस साल के लिए लिया जा रहा है। ऐसे में राज्य पर फिर से कर्ज बढ़ने की संभावना है। दरअसल, सरकार यह कर्ज सिंचाई के लिए निर्माण कार्य, परिवहन व कम्युनिकेशन, सहकारिता बैंकों के लिए, अधोसंरचना विकास के लिए और बिजली व्यवस्था जैसे कार्यों के लिए कर्ज लेने जा रही है।
बीते छह महिनों की बात करे तो सरकार अब तक 10 हजार 600 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। जनवरी से अभी तक ऐसा कोई महीना नहीं गया है, जब कमलनाथ सरकार ने कर्ज नहीं उठाया हो। पिछली भाजपा सरकार पर कर्ज को लेकर सवाल उठाने वाली कांग्रेस अब इस कर्ज को विकास के लिए उठाया जाने वाला कर्ज बता रही है, लेकिन इससे टैक्स का बोझ आम आदमी पर बढ़ता जा रहा है। सरकार को अभी हाल ही में वाहनों पर टैक्स बढ़ाना पड़ा है।
सूत्रों की माने तो सरकारी खजाने की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। वचन पत्र को पूरा करने के लिए खर्च पहले की तुलना में बढ़ गया है। सबसे बड़ी चुनौती कर्जमाफी है। साथ ही कई विभागों को भी करोडों का भुगतान करना है। वहीं आने वाले महिनों में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव होना है, ऐसे में विकासकार्यों को पूरा करना सरकार के सामने चुनौती बना हुआ है। ऐसे में सरकार फिर से कर्ज का सहारा ले रही है।
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