भोपाल : मध्यप्रदेश सरकार ने पांच साधु संतों को राज्यमंत्री के दर्जे से नवाजा है. इन्हीं संतों में से एक हैं कंप्यूटर बाबा. राज्यमंत्री बनाए जाने पर कंप्यूटर बाबा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त किया है.
उन्होंने कहा कि कहा कि सरकार ने साधु समुदाय पर विश्वास दिखाया है, हम लोग(संत समुदाय) समाज के कल्याण के लिए अच्छे से अच्छा काम करेंगे.
वही कंप्यूटर बाबा को राज्यमंत्री बनाये जाने को लेकर सियासी गलियारों में जमकर चर्चा हो रही है. दरअसल, कंप्यूटर बाबा नर्मदा में अवैध उत्खनन और नर्मदा परिक्रमा के दौरान पौधरोपण में हुए भ्रष्टाचार को लेकर नर्मदा घोटाला रथ-यात्रा शुरू करने वाले थे, लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा मंत्री बनाए जाने के बाद उन्होंने नर्मदा घोटाला रथ यात्रा को निरस्त कर दिया.
बताया जा रहा है कि 31 मार्च को सीएम हॉउस में शिवराज ने बाबा से नर्मदा घोटाला यात्रा नहीं निकालने का अनुरोध किया. मुख्यमंत्री ने अपने निवास पर बाबा का सम्मान भी किया था और उनसे आशीर्वाद लिया. जबकि कंप्यूटर बाबा एक अप्रैल 2018 से नर्मदा घोटाला यात्रा शुरू करने की घोषणा कर चुके थे.
वही कंप्यूटर बाबा द्वारा नर्मदा घोटाला यात्रा निरस्त करने पर संत समाज भड़क उठा है. आंदोलन में कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले लक्ष्मणदास महाराज ने इसे संत समाज के साथ गद्दारी बताया है. इसको लेकर 13 अप्रैल को इंदौर में एक बड़ी बैठक बुलाने की तैयारी की जा रही है.
इधर विपक्ष ने भी इस फैसले पर हमला करना शुरू कर दिया है. कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कटाक्ष करते हुए कहा कि- कम्प्यूटर बाबा सरकार के बहकावे व झांसे में न आकर पूर्व से घोषित नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकालकर सरकार की पोल खोलें. सलूजा ने कहा कि पूर्व की तरह शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए 45 दिवसीय नर्मदा घोटाला रथ यात्रा 15 मई तक निकालकर अपनी घोषणा पर अटल रहें. इससे ये साबित हो रहा है कि नर्मदा मैया से जुड़े मामले में कहीं ना कहीं दाल में कुछ काला है. यही वजह है कि सरकार ने घबराकर उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया है.
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