भोपाल : प्रदेश कांग्रेस विधानसभा चुनाव के मद्देनजर युवा नेताओं पर जोर देने की बात करती हो लेकिन पार्टी में अभी भी वरिष्ठ नेताओं का ही दबदबा है. यह बात उस समय साबित हो गई जब तमाम बड़े नेताओं को दरकिनार करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीबी राजमणि पटेल को राज्यसभा भेजने का फैसला लिया. कांग्रेस के इस फैसले ने न सिर्फ बड़े बड़े राजनीतिक पंडितों को गच्चा दिया बल्कि दिग्गी का रसूख भी दिखाई दिया.
दिग्गी भले ही राजनीति से दूर नर्मदा परिक्रमा यात्रा पर हो लेकिन, समय समय पर नर्मदा किनारे से ही राजनीतिक चालें चल रहे है. राज्यसभा के लिए कांग्रेस के सियासी गलियारों में सत्यव्रत चतुर्वेदी और सुंदरलाल तिवारी के नामों को लेकर चर्चा थी, लेकिन आखिरी समय में राजमणि के नाम ने सबको हैरानी में डाल दिया.
वही दूसरी तरफ राजमणि के नाम को लेकर कांग्रेस के नेताओं में भी विरोध देखने को मिला. कई ऐसे कांग्रेसी नेता है जिन्होंने राज्यसभा में जाने वाले राजमणि के नाम को लेकर नाराज़गी जताई. राजमणि तीन बार विधायक रह चुके है और दिग्गी सरकार में मंत्री भी रह चुके है. ओबीसी नेता राजमणि को राज्यसभा में भेजकर कांग्रेस कौनसा दांव खेल रही है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन इस फैसले के बाद एक बात तो साफ़ हो चुकी है की संगठन में एकता के वादे कर रही कांग्रेस में फ़िलहाल कुछ भी ठीक नहीं दिख रहा है.
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