बीजेपी की मुसीबतें बढ़ा सकता है आदिवासी मतदाता !

बीजेपी की मुसीबतें बढ़ा सकता है आदिवासी मतदाता !
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मध्यप्रदेश – आदिवासी सीटों पर बगड़ सकता है बीजपी का खेल ..जी हाँ विधानसभा चुनाव के परिणाम ने प्रदेश की छह आदिवासी लोक सभा सीटों पर भाजपा का सियासी गणित बिगाड़ दिया…आइये आपको बताते है इन सीटों का सियासी गुणा भाग…

देश मे मिशन 2019 की रणभेरी बज चुकी है..सभी पार्टियां जीत का परचम लहराने के लिए ऐड़ी चोटी का दम लगा रही है..तो वही डच् में सत्तारूढ़ पार्टी बीजपी को विधानसभा चुनाव में आदिवासियों की नाराज़गी का खामियाजा उठाना पड़ा.

लिहाज़ा बीजपी आलाकमान आदिवासियों को अपने पाले में करने की रणनीति बना रहा है.. बता दे विधानसभा चुनाव के परिणाम ने प्रदेश की छह आदिवासी लोकसभा सीटों पर बीजेपी का सियासी समीकरण बिगाड़ दिया है.

अभी इनमें से पांच बीजेपी और एक सीट सिर्फ कांग्रेस के पास है. लेकिन विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखें, तो इन सीटों पर कांग्रेस को बढ़त मिली है. ओर यही वजह है कि इन संसदीय क्षेत्रों की विधानसभा सीटें अब कांग्रेस के पास हैं.

यदि बात करे धार लोकसभा सीट की तो इस संसदीय क्षेत्र में आने वाली 8 विधानसभा सीटों में से 6 कांग्रेस के पास और 2 बीजेपी के पास बची हैं.

2009 में कांग्रेस के गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी जीते थे. लेकिन मोदी लहर में बीजेपी की सावित्री ठाकुर 2014 ने कांग्रेस से ये सीट छीन ली. अब बीजेपी इस सीट पर नया चेहरा तलाश रही है और कांग्रेस राजूखेड़ी पर दांव खेल सकती है.

वही यदि हम बात करें मंडला सीट की तो यहां की 8 विधानसभा सीट में से 6 पर बीजेपी और 2 पर कांग्रेस का कब्जा है.बीजेपी सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते एंटी इंकमबेंसी के शिकार हैं.

बीजेपी कुलस्ते का टिकट काट कर नए चेहरे को और कांग्रेस पूर्व विधायक संजीव उइके को मौका दे सकती है इस तरह की अटकलें तेज़ है..

वही इस कड़ी में तीसरी सीट की यहाँ से बीजेपी के ज्ञान सिंह मौजूदा सांसद हैं…आठ विधानसभा वाली संसदीय सीट में कांग्रेस और बीजेपी के पास 4-4 सीटें हैं…यानी यहाँ मामला 50-50 है.

लिहाज़ा कांग्रेस इस सीट को अपने पाले में करने के लिए नये चेहरे को मैदान में उतार सकती है…

इसी कड़ी में अगला नंबर है बैतूल का ..

जी हां हालही में बीजेपी सांसद ज्योति धुर्वे जाली जाति प्रमाण पत्र के मामले में फंसी हैं. इसलिए उनका टिकट कटना तय माना जा रहा है.यहां भी 4-4 विधानसभा सीट बीजेपी कांग्रेस के पास हैं..ऐसे में कोई नया उम्मीदवार उतारकर बीजपी यह सीट बचना चाहेगी.
अगली सीट है निमाड़ की ..

जी हाँ हम बात कर रहे है खरगोन सीट की फिलहाल कांग्रेस यहाँ बेहद मजबूत स्तिथि में है यहाँ की 8 विधानसभा सीटों में से एक बीजेपी, एक निर्दलीय और छह कांग्रेस के पास हैं.बीजेपी अपने मौजूदा सांसद सुभाष पटेल का टिकट काट सकती है..उनकी जगह गजेन्द्रसिंह पटेल को टिकट मिलना तय माना जा रहा है..

वही यदि हम बात करें
रतलाम झाबुआ सीट की तो ये इलाका कांग्रेस का गढ़ माना जाता है.2014 में मोदी लहर में बीजेपी के दिलीप सिंह भूरिया जीत कर आए थे… लेकिन उनके निधन के बाद 2015 में लोकसभा उपचुनाव हुआ,

जिसमें फिर से कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया जीत गए. यहां 5 विधानसभा सीटें कांग्रेस और 3 बीजेपी के पास हैं.ऐसे में भाजपा के लिए यह सीट कोई चुनौती से कम नही …

कुल मिलाकर प्रदेश की शहडोल, मंडला, बैतूल, खरगौन, धार और रतलाम सीट आदिवासी बाहुल्य हैं.यहां कांग्रेस मजबूत स्थिति में है तो बीजेपी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है.बीजेपी के पास पांच सीटें जरूर है,

लेकिन इस चुनाव में इन सीटों को बचा पाना अब आसान नहीं लग रहा…अब बीजपी को मोदी मैजिक का ही सहारा है बहरहाल विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय मुद्दे हावी होते है तो वही आम चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे ..ऐसे में पीएम मोदी की छबि चुनाव की दशा दिशा तय करेगी ….

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