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Pm Modi के सबसे करीब ‘वन नेशन वन इलेक्शन, वह तीन मौके जब खुलकर रखी अपने मन की बात

आज भारत ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के फॉर्मूले को अपनाने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ चुका है, अभी तक तो यह बात केवल चर्चा में ही आई थी, लेकिन मोदी सरकार ने वन नेशन, वन इलेक्शन पर कमिटी का गठन कर इस दिशा में आगे बढ़ने का संकेत दे दिया है, पहले भी कई मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर अपनी बात संसद के अंदर और संसद के बाहर भी विभिन्न मंचों पर रखते रहे हैं, यहां हम आपको पीएम मोदी के द्वारा वन नेशन वन, इलेक्शन को लेकर सार्वजनिक तौर पर दिये गए बयानों के बारे में बताते हैं,

पीएम मोदी ने सबसे पहले 26 जून 2019 को संसद में अपने भाषण में कहा कि -1952 से लेकर आज तक लगातार चुनाव में रिफॉर्म होते रहे और होते रहने चाहिए, मैं मानता हूं कि इसकी खुले मन से चर्चा भी होती रहनी चाहिए, लेकिन आउटराइट ये कह देना की एक देश एक चुनाव नहीं अरे भाई चर्चा तो करो,आपके विचार होंगे.मैं कई बड़े-बडे नेताओं से मिला हूं वो कहते हैं कि इस बीमारी से मुक्ति मिले। एक बार चुनाव आए.. महीना दो महीने उत्सव चले फिर सबको काम में लग जाना चाहिए ये बात सबने बताई है,

वहीं 15 अगस्त 2019 को लालकिले की प्राचीर से देश संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि -सरदार साहब के एक भारत के सपने को चरितार्थ करने में लगे हुए हैं तब हम ऐसी व्यवस्थाओं को जन्म दें जोड़ने के लिए सिमेंटिंग फोर्स के रूप में उभरकर आए ये प्रक्रिया निरंतर चलती रहनी चाहिए,हमने वन नेशन वन टैक्स के सपने को साकार किया,और आज देश में व्पापक रूप से एक देश और एक साथ चुनाव की चर्चा चल रही है ये चर्चा होनी चाहिए, लोकतांत्रिक तरीके से होनी चाहिए। और कभी न कभी एक भारत श्रेष्ठ भारत के सपनों को साकार करने के लिए और भी ऐसी चीजों को हमें जोड़ना होगा

,वहीं इसके बाद 26 नवंबर 2020 को भी अपने संबोधन में पीएम मोदी ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’को देश की जरूरत बताया और कहा कि सिर्फ चर्चा का विषय नहीं बल्कि भारत की जरूरत है, हर कुछ महीने में देश में कहीं न कहीं चुनाव हो रहे होते हैं, इससे विकास के कार्यों पर जो असर पड़ता है उसे आप सब भलीभांति जानते हैं। ऐसे में ‘वन नेशन,वन इलेक्शन’ पर गहन अध्ययन और मंथन आवश्यक है ऐसे में अब देखना होगा कि क्या विशेष सत्र में यहां भी संसद में पास होता है या फिर नहीं,

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