डिंडोरी –यूं तो गुरु और शिष्य का रिश्ता अटूट होता है क्योंकि यह जन्म से शुरू होता है और अंत तक चलता है। मानव जीवन और राष्ट्र निर्माण में अपना सबसे महत्वपूर्ण योगदान देने वाले शिक्षकों का आज सम्मान दिवस है। इसी कड़ी में हम आपको ऐसे शिक्षक की कहानी दिखा रहे हैं, जो डिंडौरी जिले के प्राथमिक शाला सहजपुरी में अतिथि शिक्षक के रूप पदस्थ है। शारीरिक रूप से 80% दिव्यांग अतिथि शिक्षक भगवानदीन धुर्वे पूरी मेहनत लगन के साथ स्कूल के बच्चों को पढ़ाते हैं और नियमित स्कूल आते हैं यही नहीं वह हाथ ना होने के बावजूद फटाफट केलकुलेटर चलते हैं और बोर्ड पर लिखते भी हैं।
अतिथि शिक्षक भगवानदीन धुर्वे पढ़ाने का दौर स्कूल तक नहीं थमता वे गरीब और असहाय बच्चों को शाम के वक्त निशुल्क कोचिंग भी देते हैं। को जानकर हैरानी होगी स्कूल में मौजूद अन्य शिक्षकों के वेतन की अगर हम बात करें तो अतिथि शिक्षक भगवानदीन धुर्वे का वेतन नाममात्र है लेकिन दुबे का हौसला और पढ़ाने की क्षमता उनसे कई गुना आगे।
जब एमपी न्यूज़ के स्थानीय पत्रकार ने धुर्वे से बात की तो उन्होंने बताया कि उनका वेतन बहुत ही कम है। इसके साथ ही वह शारीरिक रूप से 80% दिव्यांग हैं। लेकिन अपने इरादों और हौसले से नहीं!! उन्होंने एमपी न्यूज़ चैनल के माध्यम से प्रदेश सरकार और स्थानीय कलेक्टर से अपील कि की ग्राम का स्कूल पूरी तरह क्षतिग्रसत और हालात जर्जर हैं।
कुल मिलाकर अतिथि शिक्षक भगवानदीन धुर्वे के हौसले और जज्बे से उन दूसरे शिक्षकों को प्रेरणा लेनी चाहिए जो मोटे वेतन होने के बावजूद अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर रहे।
एमपी न्यूज़ अतिथि शिक्षक भगवानदीन के हौसले और उन तमाम शिक्षकों को सैल्यूट करता है। जो अपने अंदर पढ़ाने के जज्बे की अलख जगाए हुए है।
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