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Indore: पराली से पर्यावरण को नुकसान, किसानों से ना जलाने की अपील

गेहूं फसल की कटाई का कार्य अंतिम दौर में चल रहा है ऐसे में जो किसान अपनी फसल काट चुके हैं वे  गेहूं के बचे हुए अवशेष यानी पराली को  जला रहे है। जिला प्रशासन ने पराली जलाने पर धारा 144  लागू कर रखी है, इसके बाद भी इंदौर जिले में कई जगह पराली जलते हुए देखा जा सकता है। कलेक्टर ने एक बार फिर सभी किसानों से अपील करते हुए पराली न जलाने की अपील की है।

पराली जलाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान और कृषि भूमि की उत्पादकता कम होने के बारे में किसानों को लंबे समय से जागरूक किया जा रहा है इसके बाद भी प्रशासन को हर वर्ष धारा 144 के तहत आदेश जारी करना पड़ता है जिसमें पराली जलाने पर धारा 188 के तहत कार्रवाई का प्रावधान है इतना ही नहीं अब पर्यावरण को नुकसान पहुंचने पर किसानों को प्रति हेक्टेयर के मुताबिक जुर्माना भी भरना पड़ता है।

हालांकि, जागरूकता अभियान चलाए जाने के बाद से कुछ किसान हार्वेस्टर से भूसा बना रहे हैं प्रशासन ने भी अपने आदेश में स्पष्ट किया है की हार्वेस्टर संचालक को फसल की कटाई के बाद बचे हुए अवशेष का भूसा बनाना अनिवार्य है, यदि किसान हार्वेस्टर संचालक पर अवशेष न काटने  के लिए  दबाव बनाता है तो उसकी शिकायत हार्वेस्टर संचालक कर सकते हैं।

किसान यदि कम्बाईन हार्वेस्टर से कटाई के साथ ही भूसा बनाने की मशीन को प्रयुक्त कर भूसा बनायेंगे तो पशुओं के लिए भूसा मिलेगा और फसल अवशेषों का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा। साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति  भी बनी रहेगी।

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