देश में टेलीकॉम क्रांति लाने के जनक रहे हैं अटलबिहारी वाजपेयी !
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी नहीं रहे लेकिन अपने पीछे वो एक ऐसी विरासत छोड़ गए हैं जिसे भुलाया जाना
नामुमकिन है. साल 1996 में वे पहली बार पीएम बने लेकिन सरकार सिर्फ 16 दिन चल पाई इसके बाद 1998 और 1999 में वे
लगातार दो बार पीएम चुने गए. अटल पहले गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री बने जिन्होंने पूरे 5 साल तक सरकार चलाई. 26 पार्टियों के
साथ सरकार चलाने वाले वह देश के पहले प्रधानमंत्री थे.
अटल बिहारी वाजपेयी 9 बार लोकसभा के लिए चुने गए, जबकि दो बार वह राज्यसभा के लिए चुने गए. वो एक मात्र ऐसे नेता
थे, जो चार राज्य यूपी, एमपी, गुजरात और दिल्ली से चुनकर संसद में पहुंचे थे. अटल ने 1991 में नरसिम्हाराव सरकार के
दौरान शुरू किए गए आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाया. उनकी सरकार के कार्यकाल में जीडीपी ग्रोथ रेट 8 फीसदी से अधिक था
जबकि महंगाई दर 4 फीसदी से कम थी और विदेशी मुद्रा भंडार अपने उच्चतम स्तर पर था. अटल ने ही 15 अगस्त 2003 को
चंद्रयान-1 प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी.
पोखरण परमाणु परीक्षण १९९८
साल 1974 में इंदिरा सरकार में भारत अपना पहल परमाणु परीक्षण कर चुका था. हालांकि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में
भारत ने 1998 में जब अपना दूसरा परमाणु परीक्षण किया. इस परमाणु परीक्षण को अंजाम देने का मतलब सीधे महाशक्ति
अमेरिका से पंगा लेना था. हालांकि अटल ने अमेरिकी प्रतिबंधों की धमकी के बावजूद इसे अंजाम दिया. इसके बाद विदेश मंत्री
जसवंत सिंह और अमेरिकी डेप्युटी स्टेट सेक्रटरी के बीच चल रही वार्ताओं ने भारत-अमेरिका संबंधों का नया अध्याय खोला.
अटल सरकार ने अमेरिका को सहज सहयोगी बताते हुए हाइटेक समझौतों की शुरुआत की जिसने 2005 में भारत-अमेरिका
नाभिकीय समझौते का रूप लिया.
कारगिल (ऑपरेशन विजय 19990)
अटल ने पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था लेकिन परवेज़ मुशर्रफ ने करगिल में घुसपैठ कराकर पीठ में खंजर घोपने
का कम किया. भारत ने इस युद्ध में विजय हासिल की. अटल सरकार ने करगिल शहीदों के लिए मुआवजे की घोषणा की और
शहीद सैनिकों के अंतिम संस्कार को सार्वजनिक तौर पर करने का फैसला लिया.
टेलिकॉम क्रांति
अटल सरकार अपनी नई टेलिकॉम पॉलिसी के तहत टेलिकॉम फर्म्स के लिए एक तय लाइसेंस
फीस हटाकर रेवन्यू शेयरिंग की व्यवस्था लेकर लाई थी. भारत संचार निगम का गठन भी
पॉलिसी बनाने और सर्विस के प्रविश़न को अलग करने के लिए इस दौरान किया गया था.
सरकार ने अंतरराष्ट्रीय टेलिफोनी में विदेश संचार निगम लिमिटेड के एकाधिकार को पूरी तरह
खत्म कर दिया था. अटल बिहारी वाजपेयी की नई टेलीकॉम नीति की वजह से भारत ने 12
साल के समय में टेलीकॉम सेक्टर में 3 फीसदी से 70 फीसदी तक की वृद्धि दर्ज की.
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