भोपाल. मध्य प्रदेश के 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के सूत्रधार कहे जाने वाले बीजेपी के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया कमलनाथ की 15 माह पूरानी सरकार गिराने के अहम शिल्पकार हैं। लिहाजा इस मिनी विधानसभा चुनाव में उनकी प्रतिष्ठा सबसे अधिक दांव पर है। सिंधिया के कंधों पर अपने अधिक से अधिक समर्थकों का जीताने के साथ ग्वालियर चंबल में खोयी प्रतिष्ठा को वापस लाने का भी दवाब है। जो 2019 में लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के कारण सवालों के घेरे में आ गई है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया यदि इस उपचुनाव में ग्वालियर-चंबल इलाके की 16 सीटों में 10 से अधिक सीटों पर भाजपा को जीत दिलाने में सक्षम रहे, तो उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलने के साथ-साथ उनका पार्टी में वर्चस्व बढ़ सकता है। वहीं, खराब प्रदर्शन करने पर पार्टी में उनकी जो प्रतिष्ठा अभी है, वह धूमिल हो सकती है। दरअसल भाजपा में आने के बाद से ही पूर्व में केंद्रीय मंत्री रह चुके सिंधिया की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में भी मंत्री बनने की महत्वाकांक्षा है।
ऐसे में ये उपचुनाव उनके दिल्ली दरबार में पुनः शामिल होने के लिए रास्ता बना सकती है, अगर परिणाम मनमाफिक नहीं रहा तो शायद पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की नजरों में उनका कद कम हो सकता है। आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में मंगलवार को 69.93 प्रतिशत मतदान हुआ और इन मतों की गणना 10 नवंबर को होगी और इसी दिन सियासत के महाराज कहे जाने वाले सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का सूबे में सियासी भविष्य स्पष्ट होगा।
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